शरद पूर्णिमा की रात बनी खीर कैसे बदल देगी भाग्य, और जानें किस मुहूर्त में करें विधिवत पूजा

सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह पावन तिथि हर साल अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। शरद पूर्णिमा के दिन जगत जननी मां लक्ष्मी और जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं चंद्रदेव की पूजा की जाती है। सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा की रात का विशेष महत्व माना गया है, क्योंकि इस रात चंद्रमा आसमान में पूरी तरह से चमकता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चंद्रमा 16 कन्याओं से परिपूर्ण होता है। शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाने का भी बहुत ज्यादा महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि चंद्रमा की किरणों में अमृत होती है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जातक के सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा का तिथि, शुभ मुहूर्त और इस दिन क्या करें और क्या नहीं-

डेट और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को रात्रि 08 बजकर 40 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर होगा। ऐसे में शरद पूर्णिमा का पर्व 16 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन चन्द्रोदय शाम को 05 बजकर 05 मिनट पर होगा।

शरद पूर्णिमा के दिन क्या करें

चंद्रमा को जल चढ़ाएं और मंत्रों का जाप करें।

देवी लक्ष्मी की पूजा करें और धन के लिए प्रार्थना करें।

घर में दीपक जलाएं, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आएगी।

देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें।

धार्मिक ग्रंथ पढ़ें। जरूरतमंदों को दान करें।

इस दिन न करें ये काम

नकारात्मक विचारों को अपने मन में न आने दें।

किसी से विवाद न करें। क्रोध न करें।

आपको झूठ नहीं बोलना चाहिए।

क्या है शरद पूर्णिमा की महिमा

मान्यता है कि,‘शरद पूर्णिमा’ की पावन तिथि पर रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होता है जिसके कारण आसमान से अमृत की वर्षा होती है। इस दिन खीर बनाकर उसे खुले आसमान के नीचे रखते हैं ताकि चंद्रमा की किरणों के साथ अमृत के गुण खीर में आ जाएं। इस खीर को सेहत के लिए बहुत गुणकारी माना जाता है।

शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा और देवी लक्ष्मी की पूजा से घर में सुख समृद्धि बढ़ती है और धन की देवी लक्ष्मी का वास होता हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा के दिन महारास रचाया था इसलिए इसे रास पूर्णिमा (Raas Purnima) भी कहते हैं।